चंद्रिका गेरा दीक्षित , जिन्हें “दिल्ली की वड़ा पाव गर्ल” के नाम से जाना जाता है, पीतमपुरा में अधिकारियों द्वारा बेदखली से बचने के बाद नौकरशाही के खिलाफ स्ट्रीट वेंडर प्रतिरोध का चेहरा बन गई हैं। हालाँकि, कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने तर्क दिया है कि उनके सैनिक विहार फूड कार्ट में प्रचार-प्रेरित लोगों की भीड़ के कारण उन्हें काफी विशेषाधिकार प्राप्त हुआ है।
मूल रूप से इंदौर की रहने वाली चन्द्रिका नौकरशाही ताकतों के ख़िलाफ़ अपने संघर्ष का बड़े पैमाने पर दस्तावेजीकरण कर रही है,जो उनके व्यवसाय – मुंबई का प्रसिद्ध वड़ा पाव नामक एक पुशकार्ट को बंद करने की धमकी दे रही है। (प्रमाणित वड़ा पाव) यह स्टॉल केशव महाविद्यालय के बाहर स्थित है, जहां इंस्टाग्राम-संचालित समर्थक बड़ी संख्या में उनका समर्थन करने के लिये एकत्रित हो रहे हैं।
जीवन संघर्ष
चंद्रिका का जन्म इंदौर में हुआ था। जब छोटी थी तभी अपने माता-पिता को खो चुकी थी, इस लिये उसके जीवन में केवल संघर्ष ही संघर्ष रहा है। अनाथ चन्द्रिका जीवन यापन करने के लिये दिल्ली आ गयी, जहां उसने हल्दीराम के कर्मचारी के रूप में अपने काम की शुरुआत की। यहाँ उन्होंने यश गेरा नामक एक व्यक्ति के साथ शादी करली, जहां कुछ समय के बाद उनको एक बेटा हुआ। वर्षो तक कंपनी में काम करने के बाद, अचानक उनके बेटे को डेंगू हो गया जिसकी वज़ह से उनको काफ़ी कठिन समय का सामना करना पड़ा, जिसके कारण नौकरी छोड़नी पड़ी। इसके बाद उन्होने और उनके पति(यश गेरा) दोनों ने नौकरी छोड़कर वड़ा पाव का स्टॉल लगा लिया। वो कहती हैं कि खाना बनाना उनका शौक था, इसी शौक को उन्होंने बिजनेस में तब्दील कर दिया ।
इनके वीडियो बीते कुछ दिनों से वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो में वो रोती हुई भी नजर आती हैं। कहती हैं कि उनके स्टॉल को हटवाने की कोशिश हो रही है। जबकि एक और वीडियो में वो लोगों की भीड़ से परेशान हो जाती हैं। इतने ज्यादा लोग वड़ा पाव खरीदने आ जाते हैं कि सड़क ही जाम हो जाती है। वो खुद कहती हैं कि लोग घंटों लाइन में लगकर उनके वड़ा पाव खरीद रहे हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का कहना है कि अगर उनकी जगह कोई पुरुष होता, तो ठेले पर लोगों की इतनी लंबी लाइनें नहीं होतीं।