भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वृंदावन में अपना दौरा शुरू किया, और उन्होंने अपनी यात्रा का आदिकालिक स्थल में एक महान आध्यात्मिक गुरु, प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम में समाप्त किया। समाधान और ध्यान के वातावरण में टीम के सभी सदस्यों ने प्रेमानंद जी से आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त किया।
धार्मिक विचारों और अनुभवों के माध्यम से प्रेमानन्द महाराज जी ने उनको जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने का मौका प्रदान किया। उन्होंने जीवन में आने वाली चुनौतियों और संघर्षों को धैर्य और संतुलन के साथ स्वीकार करने के ज्ञान से सभी को अवगत करवाया। साथ मे उन्हें जीवन के मार्ग पर सही राह चलने के लिए प्रेरित किया, जिसमें संघर्ष और प्रगति दोनों होते हैं।
प्रेमानंद महाराज जी ने उन्हें खेल के जरिए देश का नाम रोशन करने का संदेश दिया गया और सभी को नाम जपने की सलाह दी, जिससे उन्हें अग्रसर और संघर्षों से निकलने में मदद मिलेगी। मथुरा में होली का उत्सव चल रहा है और वृंदावन में रंगों की झलक नजर आ रही है। रंगभरनी एकादशी के दिन वहां श्रद्धालुओं का भी आगमन है, जो होली के त्योहार को आदर्श ढंग से मना रहे हैं। इस अवसर पर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ी भी उपस्थित हैं, जो आराध्य के साथ खुशियों मे शामिल हो रही हैं|
प्रारंभिक जीवन( प्रेमानंद महाराज )
असली नाम : अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय
अन्य नाम : प्रेमानंद जी महाराज
जन्म : 1972
उम्र : 60 वर्ष (लगभग)
जन्म स्थान :कानपुर, उत्तर प्रदेश
गृहनगर : कानपुर, उत्तर प्रदेश
पिता : श्री शंभु पाण्डेय
माता : श्रीमती रमा देवी
गुरु जी का नाम : श्री गौरंगी शरण जी महाराज
वैवाहिक स्थिति : अविवाहित
जाति : ब्राह्मण
प्रेमानंद महाराज एक कृष्णमार्गी[3]संत हैं जिनको वृंदावन वाले महाराज के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म कानपुर के निकट अखरी गाँव, सरसौल ब्लॉक में वर्ष १९७२ में हुआ था प्रेमानंद महाराज का पूर्व नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय था। उनकी माता श्रीमती रमा देवी एवं पिता का नाम शंभू पाण्डेय था। इनके दादा जी एक सन्यासी थे। इनका घरेलू वातावरण अत्यंत भक्तिपूर्ण, अत्यंत शुद्ध और निर्मल था।
भक्तिपूर्ण पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए महाराज जी ने बहुत कम उम्र में ही विभिन्न (चालीसा) का पाठ करना शुरू कर दिया था। जब वे 5वीं कक्षा में थे तब उन्होंने गीता, श्री सुखसागर पढ़ना शुरू किया। उन्होंने स्कूल में पढ़ने और भौतिकवादी ज्ञान प्राप्त करने के महत्व पर सवाल उठाया और बताया कि यह कैसे उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा। उत्तर खोजने के लिए उन्होंने श्री राम जय राम जय जय राम और श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जाप करना शुरू किया।
जब वे 9वीं कक्षा में थे तब तक उन्होंने एक आध्यात्मिक जीवन जीने का दृढ़ निश्चय कर लिया था। उन्होंने अपनी मां को अपने विचारों और निर्णय के बारे में बताया। 13 वर्ष की छोटी उम्र में एक सुबह महाराज जी ने मानव जीवन के पीछे की सच्चाई का अनावरण करने के लिए अपना घर छोड़ दिया।
प्रेमानंद महाराज जी का ब्रह्मचर्य जीवन
महाराज जी को नैष्ठिक ब्रह्मचर्य में दीक्षित किया गया था। उनका नाम आनंदस्वरूप ब्रह्मचारी रखा गया और बाद में उन्होंने सन्यास स्वीकार कर लिया। महावाक्य को स्वीकार करने पर उनका नाम स्वामी आनंदाश्रम रखा गया। एक आध्यात्मिक साधक के रूप में उनका अधिकांश जीवन गंगा नदी के तट पर व्यतीत हुआ। क्योंकि महाराज जी ने कभी भी आश्रम के पदानुक्रमित जीवन को स्वीकार नहीं किया। बहुत जल्द गंगा उनकी दूसरी माँ बन गई।
वह भूख कपड़े या मौसम की परवाह किए बिना गंगा के घाटों (हरिद्वार और वाराणसी के बीच) पर घूमता रहे। कड़ाके की सर्दी में भी उन्होंने गंगा में तीन बार स्नान करने की अपनी दिनचर्या को कभी नहीं छोड़ा। महाराज जी पर निस्संदेह भगवान शिव की कृपा थी। एक दिन बनारस में एक पेड़ के नीचे ध्यान करते हुए श्री श्यामाश्याम की कृपा से वे वृंदावन की महिमा के प्रति आकर्षित हुए।
महाराज जी बिना किसी परिचित के वृंदावन पहुंचे। बांकेबिहारीजी के मंदिर में उन्हें एक संत ने कहा कि उन्हें श्री राधावल्लभ मंदिर भी जाना चाहिए। गौरांगी शरण महाराज ने उन्हें वृंदावन की प्रेम रस महिमा को आत्मसात करने में मदद की. आज भी हर गुरूवार को प्रेमानंद जी महाराज अपने गुरू गौरांगी शरण जी से मिलने जाते हैं।
सामाजिक प्रभावक के रूप मे
प्रेमानंद महाराज जी की कथाये और सत्संग आज दुनिया भर मे YouTube और Instagrame जैसे सोशल मिडिया माध्यम दवारा दुनिया के हर कोने-कोने तक पहुंच रहीं हैं। फिल्म इंडस्ट्री व् राजनितिक क्षेत्र के जाने माने अभिनेता भी महाराज जी से मिलने के लिये बृन्दावन आया करते हैं। विराट कोहली(भारतीय क्रिकेटर) उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा(फिल्म अभिनेत्री) अपनी बेटी के साथ महाराज के दर्शन के लिए बृन्दावन आये थे। वही संदीप महेश्वरी(सामाजिक प्रभावक) जी के माता-पिता, रवि किशन(गौरखपुर के सांसद ,ऋचा शर्मा(संगीतकार),मोहन भागवत(राष्ट्रीय स्वयं सेवक के संघ प्रमुख) व् अन्य महान हस्तियां आये दिन उनसे मिलने आते रहते। वह महाराज जी से अपने मन मे आये प्रश्नों को रख कर अपनी परेशानियों का हल पूछते हैं।
प्रेमानन्द महाराज जी अपने पास आये सभी भगतों को नाम जप करने व् अपने आराध्य देव जी की निष्ठां और सच्चे मन से भक्ति करने का उपदेश देते हैं। वह स्वयं राधा रानी के परम भगत हैं परन्तु अपने पास आये सभी भगतों को अपने आराध्य का नाम जप करने का उपदेश देते हैं। इनके आधार पर नाम अलग हो सकते है परन्तु भगवान सभी स्वरूप मे समाये है।